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किताब "बोलोगे की बोलता है "का कलेवर ...

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...बोलोगे कि बोलता है

...बोलगे कि बोलता है ,आन लाइन


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Saturday, 15 August 2009

कौन सी स्वतन्त्रता के जश्न मना रहे हैं हम

कौन  सी स्वतन्त्रता के जश्न मना रहे हैं हम
 
एक और पन्द्रह अगस्त आया .देश विदेश में सरकारी/गैर सरकारी आयोजनों की भरमार ,धूम धडाका /हो-हल्ला /दूर-दर्शनीय देश प्रेम/और.. फिर बस...
करोडों फूंक कर आयोजित औपचारिक समागमों का तमाम ताम झाम किस लिए ??
किस स्वतन्त्रता का जश्न मनाएं ??
 
आज भारत की आर्थिकता वर्ल्ड बैंक की रखेइल बन चुकी है..कुटीर उद्योगों के गले में डबल्यू टी ओ का फंडा पडा हुआ है ..शिक्षा स्वास्थ्य इत्यादि सभी विभागों का निजीकरण अवश्यम्भावी है ...विश्वी कर्ण  की आंधी में भारतीय सदगुण लुप्त होते दिखाई दे रहे हैं ...
कहाँ है स्वतन्त्रता ?!
क्या मात्र तन की स्वतन्त्रता ही स्वतन्त्रता है?? हमारी सोच ,हमारी मानसिकता तो आज भी परतंत्र है...हमारी मानसिकता तो आज भी पश्चिम की गुलाम है...अपनी अमीर धरोहर को भूल कर पश्चिम का अन्धानुकर्ण करना हमारा स्वभाव बन चुका है... 
-हम किसी भी तथ्य को तथ्य एवम सत्य को सत्य तभी मानते हैं जब पश्चिम उसे सत्यापित  करता है   .
जब दिल ज़हन गुलाम है तो ... जब सोच परतंत्र है तो.. स्वतन्त्रता दिवसों के औपचारिक समागमों का क्या लाभ  ?!सच्ची स्वतन्त्रता अभी आनी है...
-वह भोर जब हमे अपनी धरोहर पर गर्व होगा ...
-हम स्वयम को हिन्दुस्तानी मानने पर गर्व करें गे ...
-जब विदेशों की गुलामी मोल खरीदने की जगह हम अपने भारत की सेवा को सर्वोपरि मानेंगे ...
-तब हो गी सची स्व तंत्रता ....

 

--
deepzirvi
9815524600


चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: HUM, BOLEGA, TO, BOLOGAY...,

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