तिरंगे की छाँव कितनी महंगी मिली ये बगुले क्या जाने ??मेरा मन नही करता की अपनी करोडों से कीमती लेखनी इन बगुलों पर बेकार करूं किन्तु क्या करूं आजादी के दिन जब बगुलों को चीनी कबूतर उडाते देखता हूँ तो मेरी लेखनी को उबकाई आने लगती है ,वो शिव नही जो गरल कंठ में रखे रह सके सो उगल देती है अपनी उबकाई को .
ये बगुले कहते नही अघाते की उन मैं कोई कमी नहीं है ,जिन बगुलों के अनुसार उन में कोई कमी नही उन को मैं बताऊँ क्या कहा जाए कमी+ना,
ये कमी+ना बगुला प्रजाति भारत भर मैं यत्र तत्र सर्वत्र मिलेगी . भारत की जनता इन कमी+ना बगुला प्रजाति के लिए शाही भोज से अधिक कुछ भी नही . .
ये सांप दूध पी कर विष-वमन करते है ,इन के काटे और चाटे पेड़ कभी भी हरे नही हुए . ये 'मिशन कमीशन' के पुरोधा हमदर्दी नाम की चिडिया नही पाला करते . .कुकुरमुत्तों की छाया में बैठ कर आज़ादी का भ्रम ??
-कम से कम मुझ को तो नही है .
लेकिन में अकेला चना क्या भाड़ फोडूंगा.. हा अपना सर अवश्य फुड़वा सकता हूँ .
मैं आम व्यक्ति हूँ जो डरपोक है , घूमनेवाली कुर्सियों के पायों तले जिसकी होनी लिखी जाती है . अगर कमी+ना प्रजाति बगुलों के भत्ते बढाने की बात हो तो कोरम भी पूरा हो जाता है और वोटिंग का जंजाल भी कोई नहीं
-लेकिन आम आदमी के लिए दाल रोटी ... दूभर, दाल एक्सपोर्ट करनी हो अथवा इंपोर्ट कमी+ना प्रजाति बगुलों की बांछें खिल जाती हैं .
वो कत्ल भी करते है तो चर्चा नहीं होता ,हम आह भी भरते है तो....हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है...
deepzirvi
9815524600
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