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किताब "बोलोगे की बोलता है "का कलेवर ...

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...बोलोगे कि बोलता है

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Tuesday, 11 August 2009

करामात देखो करामात


करामात देखो करामात . मित्रो आप सभी ने करामाती खजाने की कहानिया सुनी होंगी , सुनो अब हम भी ऐसे ही करामाती खजाने की बात करेंगे . ये है हमारी पंजाब सरकार का खजाना.. देखिये सरकार कहती है खजाना खाली है , चलिए हम भी मान लेते हैं की जो सरकार अपने मुलाजिमो को समय पर तनखाह नही दे सकती उसका खजाना खाली ही होगा . जो सरकार अपनी सडको को रहन रखने को मजबूर है उस का खजाना खाली ही होगा ,जो सरकार वर्ल्ड बैंक के टुकडों पर पल रही हो उस का खजाना खाली हे हो गा . गरीब जनता को १०० रूपये किलो दाल ?? दाल गले भी तो कैसे?? खजाना खाली ही होगा ..

सरकारी इन्फ्रा स्ट्रक्चर को सम्भालने में नाकाम रही सरकार का खजाना खाली ही होगा ...

किन्तु न जाने एक एक कौन सा कारूं का एड्रेस हमारे नेताओ के हाथ लग जाता है की एक ही सदन में १२ -१२ विधायक पास कर डाले जाते हैं , वर्तमान ,भूत पूर्व मंत्रियों के भ्त्त्त्तों में दो दो गुना चार चार गुना बढोतरी कर डाली जाती है .

आखिर में : एक कथा याद आ गयी , हुआ यूं की एक बार एक अफसर का तबादला हुआ वो नई जगह गया. जाते ही सरकारी खर्च पर पूरे दफ्तर की साज सज्जा बदलवा दी गयी . नये पर्दे ,नये फर्नीचर नये साज-ओ-समान पर पानी की तरह पैसा फूंक्वाया गया.

एक दिन उस दफ्तर के दर्जा क चार के एक कर्म चारी ने विनती की , हजूर हमारी पगार बढ़ने के लिए सिफारिश ही कर देवो . इतना सुन कर साहिब तुनक कर बोले '' फिजूल खर्ची के लिए सरकार के पास फूटी कौडी भी नही तेरी पगार बढाने के लिए कैसे सिफारिश करूं

तो मित्रोअब आप जानो आप का काम , क्युकी हम बोले गा

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