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किताब "बोलोगे की बोलता है "का कलेवर ...

किताब "बोलोगे की बोलता है "का कलेवर ...
...बोलोगे कि बोलता है

...बोलगे कि बोलता है ,आन लाइन


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Sunday, 26 July 2009

ये विडियो केमरे की लाइट जलने पर नाचने वाले ...


मित्रो मैं ने भी देखा है आप ने भी यकीनन देखा होगा कि ,शादी जैसे मौके पर पूरी वेरिएटी के लोग-बाग एक ही जगह मिल जाया करते हैं .उन में से कुछ शादी देखने आये होते हैं कुछ बिचौलिये किस्म के लोग शादी योग्य लडके अथवा लडकी कि ताक में होते हैं.शादी में नाच-गाने का मौका लगते ही कुछ लोग अपने मन की मस्ती में नाचा करते हैं, जबकि कुछ तब तक नहीं हिलते जबतक रौशनी कि फुहार छोड़ता केमरा ऑन नहीं होता .
बिना केमरे नाचने वाले कम ही मिलेंगे .
सभी केमरे के सामने ऑन- द- रिकॉर्ड नाचना चाहते हैं दूधिया रौशनी का मोह सभी को होता है . तभी तो सरकारी कार्यालयों मैं भी यही माहौल देखने को मिलता हैं , कई कर्मचारी काम ओवर टाइम लगा कर भी पोर करते हैं जब कि कई कर्मचारी ओवर टाइम में ही काम करते हैं ,कुछ सन्डे को भी काम करते हैं; किछ सन्डे को ही काम करते है ऐसा करने से एक पंथ दो काज हो जाते हैं ,ओवर टाइम करने वाले केमरे में ऑन द रिकॉर्ड हो जाया जाता है. २,आम के आम गुठलियों के दाम हो जाते हैं .
सरकारी/ गैर सरकारी संस्थानों में काम करने वाले और काम का फ़िक्र करने वाली दो प्रजातियों के कर्म चारी पाए जाते हैं . काम करने वाले काम करते हैं दूधिया रौशनी हो न हो ये काम करते रहते है चींटी कि लग्न से , दूसरे प्रजाति के कर्म चारियों के गुणसूत्रों में प्रधानगी का गुण पाया जाता है ,ये काम का फ़िक्र करते हैं जहा तहां उसका ज़िक्र भी करते है लेकिन काम नहीं करते , ये काम तभी करते है जब किसी अफसर के आने कि सूचना होती है , अफसर रूपेण दूधिया रौशनी के होते ही इन अकर्मण्यता के कीडों में बला कि चुस्ती फुर्ती आ जाती है . यू लगता है कि पूरे विभागः में व्ही एक कर्मयोगी हों बाकी सब कामचोर हों .
क्या आप का सामना इन में से दूसरी प्रजाति के कर्मचारियों से कभी नहीं पडा ???
क्यों मजाक कर रहे हो!!
चलो हमें क्या हम कुछ नहीं बोले गा ... हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है
दीप जीरवी ९८१५५२४६००

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