
दोस्तों लाख छिपाने से छिपता नही है लहू ,जो चुप रहे गी जुबाने खंजर लहू पुकारेगा आस्तीन का वाली बात कब सच होगी ?
अभी पिछले दिनों मुझे हरयाना जाने का अवसर मिला, लुधियाना से खन्ना जाते जाते मैंने विनाश का तांडव देखा मेरा मन तो सिहर उठा आप भी कभी इनदिनों उधर से गुजरो तो वो तांडव आप भी देख पाओ गे ,सड़क निर्माण के नाम पर भरे पूरे पदों की लाशें यत्र तत्र बिखरी मिलेंगी , उन का अंग भंग करते लोग मिलेंगे . ये लाशें भी कैन बिकेंगी कौन लेगा इन का लाभ ?? कहाँ जाये गा इन से कमाया जाने वाला धन ,
नुक्सान हमेशा की तरह धरती और धरती के लालों का ही होगा....
हम क्यों बोल रहें हैं हमारा क्रन्दन कण सुनेगा? उल्टा हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है
दीप जीरवी
९८१५५२४६००
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