
महात्मा गांधी जी की महानता को प्रणाम .
साबरमती के संत, बोलेतो अपनेबापू , हाँ बाबा वहीएक लाठी एक लंगोटी वाले , वोही मोहनदास करमचन्द गांधी , अब ठीक पहचाना आपने । वोही जिनके बारे ये कहाजाता है की उनकी ३० जनवरी १९४८ को हत्या कर दी गयी थी वही बापू गांघी आज कल नोटों पर आसन जमाए दिखते हैं । उन की लीला अपरम्पार है । आज सरकारी दफ्तरों वाले १०० प्रतिशत गांधी वादी हो गये हैं ।
जिन का दांव नही लगता वो इमानदारी का दावा करते हैं अन्यथा सदाचार एवम ईमानदारी उसी के जिस का दांव नही लगता ।
सरकारी दफ्तरों में तो पाषाण से पाषाण ह्रदय भरे मिलेंगे ,किंतु बापू के स्वरूप का नोटों पर दर्शन कर लेने के बाद उन का ह्रदय परिवर्तन हो जाता है । वह पाषाण से एक दम नवनीत हो जाते हैं । यदि विश्वास न हो तो आप सुधि जन स्वयं प्रयाग कर के देख लें ।
हम बोले गा तो बोलोगे की बोलता है
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