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किताब "बोलोगे की बोलता है "का कलेवर ...

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...बोलोगे कि बोलता है

...बोलगे कि बोलता है ,आन लाइन


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Friday, 2 October 2009

एक और २ अक्तूबर गुजर गया

मित्रो प्यारो एक और २ अक्तूबर गुजर गया ;सच बताना आज के दिन आप ने किस को याद किया ? राष्ट्रपिता कहलाने वाले गांधीजी को अथवा जय जवान; जय  किसान का विजय दायक घोष देने वाले नाटी काया विराट स्वरचित आभा-मंडल वाले विराट पुरुष लाल बहादुर शास्त्री जी को ?
देखिये यदि आप अन्यथा न लो तो एक बात कहूँ ?
गाँधी जी का दर्शन भूल कर 'गांधी के दर्शन' को अपना रखा है क्यूंकि गाँधी जी का दर्शन अपनाना कठिन है और गाँधी जी के दर्शन तो आजकल हर करंसी नोट पर  सहज हो जाते हैं ..
१२ मास ३६५ दिन २४ घंटे हम भारतीय गाँधी जी के दर्शन को ललचाते हैं . गाँधी जी के दर्शन कर पाषाण ह्रदय भी मोम हो जाता है . आप ये बात मानो न मानो मै मानता हूँ .
३६५ दिन गाँधी के सहारे चलने वाले कार्यालयों में आज अवकाश था तो समय था की उस गुदडी के  लाल ,लाल बहादुर शास्त्री जी को भी याद कर लिया जाता .
अनुकरणीय ,अनुसरणीय व्यक्तित्व को सलाम करते ,तनिक रुक कर सोचते की क्या था इस नाटी काया वाले विराट माया के माया पति के पास की रीते हाथ भी वो धनियों से  धनी थे .
आज यदि वो होते तो भारत की दशा/दिशा भिन्न होती .. अथवा न होती...इस बात को आप के पाले में छोड़ता हूँ ,क्यूँ की हम कुछ बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ....

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deepzirvi9815524600
http://deepkavyanjli.blogspot.com
http://dztk.blogspot.com

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