बन्धुवर ,
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deepzirvi
9815524600
मेरा प्रलाप पढ़ कर व्यथित न होना .
क्या है ,कि ये अनर्गल प्रलाप ही बचा है मेरे अधिकार क्षेत्र मैं ..वोट देते हैं चोट खाते हैं ;चोट खा के
भूल जाते हैं .भूल भाल कर फिर चोट खाते हैं फिर चोट खाते हैं सहलाते हैं ,फिर धीरे धीरे भूल जाते
हैं .
हम अपनी आय से हाय किये बिना आयकर कटवाते हैं ;अपने दिए आयकर के दुरूपयोग को देखते
हैं मन मार कर रह जाते हैं कुछ नहीं कहते .मुझे क्या पडी है जो प्रलाप किये जा रहा हूँ ? बहरों के
शहर में रेडियो बेचने निकला हूँ . अंधों के शहर में आईने लिए घूमने वालों में से एक हूँ .
मेरी आयकर से कटा राजस्व ,किन बिल्लोटों के भाग्य के छींके फूटता है देख देख कर कोफ्त होती
है .
स्कूल चलें हम पर आने वाले व्यय/अपव्यय कि सोच सोच कर दिमाग का दही होता रहता है .
दोपहर के खाने की योजना को कौन कौन खा पका रहा है ये सोचने कि फुर्सत किसी को नही . देश
को कौन चबा/चला रहा है? कहाँ है भारत भाग्य विधाता जन गन मन अधिनायक कहाँ है ..
भूसे के ढेर में से सूई तो मोल सकती है किन्तु भारत भाग्य विधाता ...??
छोडिये ना हम बोलेगा तो बोलो गे कि बोलता है .
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deepzirvi
9815524600
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