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जब अलहढ़ उम्र हमारी थी ,जब आंखों में बसी खुमारी थी , जब हम को नींद प्यारी थी , पापा कहते थे :" "
जब चाल में मतवाला पण था , जब आ के लौटा बचपन था , जब सपनों में सारंगी थी , जब ये दुनिया नवरंगी थी ,
पापा कहते थे " "
जब रोक भली न लगती थी , जब टोक भली न लगती थी , अपने सपनों पर यौवन था ,
पापा कहते थे: " "
पापा कहते थे जग जाओ , अपने किसी ध्यय को अपनाओ , सपनों के पीछे मत भागो , ऐ मूढ़ उठो निद्रा त्यागो । तुम देश को क्या देते हो सुनो इस बात पे अपना सच जानो , अपने को बेटा धन्य मानो । तुम भारत भू के बेटे हो । माँ भारती अपनी जननी है । इस की सेवा भी करनी है । तुम कानों को खुला रखना , तुम आँखों को खुला रखना , अपनी जिव्हा को कस रखना ।
बिन बात बात करना न कभी ,जिव्हाघात न करना कभी ,भर जाते घाव हैं गोली के , भरते न घाव पर बोली के । टीबी से हम कुछ न कहते हैं , बस देखते हैं सुन लेते हैं ।
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