मित्रो ,
नमस्कार;
इक्कीसवीं सदी को फलांगते बीसवीं सदी की सोच सोचना पुरातन पंथी कहलाती है ; है ना? किन्तु मात्र किसी प्रचार तन्त्र के छलावे के छले अपने सोने को पीतल कहना क्या कहलायेगा? सोचो ?
इन्फो टेक , कम्पुटर के युग में यदि cow-tech की बात करूं तो कदा चित मुझे पागल समझा जायेगा !
किन्तु तो भी मैं बात छेडू गा .
दोस्तों, क्यूबा की बात आप सभी सुधीजनों को मालूम है . क्यूबा पर लगी आर्थिक पाब्न्दिआ उस को कुकनुस बना गयी ,वो अपने गो धन और पुरानी तकनीकों का सदुपयोग कर के उभर आया .
हमारे यहाँ के गौधन की स्थिति क्या है ? गोऊ की बात आरम्भ करूं इस से पूर्व ये बता दूं गौ केवल हिन्दुओं की ही माता नहीं वर्ण गौ को समझने वाले हर प्राणी की माता है . विलक्ष्ण गुणों से भरपूर गौ के अनेक लाभ है जिनसे यदि साधारण जन अवगत हो जाये तो गो घात करने वालों को भागने के लिए जगह नहीं मिले गी .
गौमूत्र सरव साधारण के लिए सुलभ है . मेरे पिता जी और दादा जी आयुर वैदिक उपचार किया करते थे . शुधि कर्ण के लिए वो गौ मूत्र ही सुझाया करते थे . हजारों रोगियों का उपचार निशुल्क मात्र गौ मूत्र से ही किया गया .
पंचगव्य को कौन भूल सकता है, आप अपने किसी भी बजुर्ग से पूछो व्ही खिल उठे गा .गौमूत्र कचरे से खाद बनाने की प्रकिरिया तेज़ करता है . रेडियो धर्मिता को अंकुश लगाने के लिए परमाणू रेअक्ट्रों मैं भी गोबर लेपन की बात मैं ने खिन पढ़ी है .
एक गौ की सुरक्षा कर हम अपने देश को स्वालम्बी बना सकते है . भू माफिया की संथ गाँठ से हडपी गयी गोचर भूमि को स्वतंत्र करा सकते है , हम क्यूबा से जो बेशक कोई हिन्दू राष्ट्र नही था तो भी जिस ने गौ धन का सदुपयोग खेती/ कीटनाशक /खाद / के लिए किया और बहुदेशीय चंगुल से बच निकला .
आओ संकीर्ण सोच को त्याग दें की गौ ,मात्र हिन्दू की मां है , गौ धन का सदुपयोग कर के देखिये ये पूरे हिन्दुस्तान की मां बन कर सभी को अपने वरदानों से मालामाल कर दे गी .
हाँ ,बहुदेशीय कम्पनिया ये नही चाहती .. अब सोचना आप को है ;करना आपको है ;हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है .
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deepzirvi
9815524600
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